Centre for Internet & Society

If you think that Indian languages are as important as international languages, like English, then, you are on the same page with this article. If not, then, let me explain, why it is a significant and much bigger issue than you think.

The blog post by Suswetha Kolluru and Nitesh Gill is in multiple languages: English, Punjabi, Hindi and Telugu.


अगर आप सोचते हैं कि मूल भाषाएँ भी अंग्रेजी जैसी अंतरराष्ट्रीय भाषाओं जितनी ही महत्वपूर्ण है, तो इस पोस्ट को ज़रूर पढ़िए। यदि आपको ऐसा नही लगता, तो आइए आपको संक्षेप में बताएँ कि यह एक जरूरी और बड़ा मुद्दा है। हर दिन, लाखों उपभोगकर्ता इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। भारत में, बहु-गिनती अपनी मूल भाषा में जानकारी प्राप्त करने वालों की है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 तक, हिन्दी उपभोगकर्ताओं की गिनती अंग्रेजी उपभोगकर्ताओं की गिनती को पार कर देगी और कुछ ओर भारती भाषाएँ मिलकर भारती भाषा के इंटरनेट उपभोग-कर्ता आधार का 30% बनती है। खोज अनुसार 68% इंटरनेट उपभोगकर्ता स्थानीय सामग्री को अंग्रेजी से ज्यादा भरोसेमंद मानता है।

इन सब तथ्यों के बावजूद, भारतीय भाषा के इंटरनेट उपभोगकर्ताओं के लिए जानकारी प्राप्त करने का दायरा बहुत सीमित है जिस का मुख्य कारण ऑनलाइन मौजूदा ज्ञान की कमी है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, गूगल ने विकीमीडिया फ़ाउंडेशन के साथ मिलकर काम का फैसला लिया। गूगल और विकीमीडिया ने मिलकर एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जिस का नाम प्राजैकट टाइगर रखा रखा। इस प्रोजेक्ट को भारतीय भाषाओं के विकिपीडियाओं का समर्थन (Supporting Indian language Wikipedias) के नाम से भी जाना जाता है। 2017 में सैंटर फार इंटरनेट एंड सोसाइटी- एक्सिस टू नॉलेज के माध्यम से भारती विकीमिडीअनस के सहयोग के साथ स्थानीय भाषाओं के विकीपीडिया पर उच्च गुणवत्ता की सामग्री को तैयार करना शुरू किया गया।

प्रोजेक्ट टाइगर का नाम भारत में शुरू किए गए 'Save Tiger' प्रोजेक्ट से प्रेरित है। Save Tiger परियोजना का उद्देश्य टाइगर की रक्षा करना था और प्रोजेक्ट टाइगर का लक्ष्य भारतीय भाषाओं को संरक्षित करना और स्थानीय विकिपीडिया पर मूल भाषा में सामग्री तैयार करना है। इस परियोजना को दो चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में, गूगल ने 2018 में अनुभवी और सक्रिय विकीमीडिया को 50 क्रामबुक और 100 इंटरनेट सुविधाएँ प्रदान की थी। चयनित विकिमेडियनों को प्रौद्योगिकी सुविधाएँ प्रदान करने के बाद, प्रतियोगिता के लिए गूगल द्वारा उपलब्ध कराए गए लेखों की सूची से और समुदाय द्वारा उत्पादित स्थानीय लेखों की सूची से लेख बनाना शुरू किया।

प्रोजेक्ट टाइगर पहली बार 2018 में आयोजित किया गया था, जिसमें 12 भारतीय समुदाय शामिल थे। इन समुदायों ने मार्च से मई तक 3 महीने के लेख लेखन प्रतियोगिता में अपना योगदान दिया और 4,466 नए लेख बनाए। प्रत्येक समुदाय द्वारा अपनी स्वयं की जूरी चुनी गई थी, जिन्होंने मानदंडों के अनुसार बनाए गए लेखों की समीक्षा की थी। यदि कोई लेख सभी मापदंडों को पूरा करता है, तो उसे स्वीकार किया गया और एक अंक दिया गया। इस प्रतियोगिता में पंजाबी समुदाय ने कुल 1,320 लेखों के साथ प्रतियोगिता में जीत हासिल की, जबकि तमिल समुदाय 1,241 लेखों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

प्रत्येक समुदाय के प्रथम तीन प्रतिभागियों को मासिक पुरस्कार देने के अलावा, विजेता और उप-विजेता समुदायों को अमृतसर, पंजाब में तीन दिन का विकी प्रशिक्षण दिया गया था। इसका नेतृत्व User: Asaf (WMF) द्वारा किया गया जहां उन्होने प्रतिभागियों को लेख लिखने के लिए नियमों से परिचित कराया और विकीडाटा के बारे में बताने के साथ-साथ इसमें इस्तेमाल किए गए टूलों का उपयोग करना भी सिखाया गया।

2018 में प्रोजेक्ट टाइगर की उत्कृष्ट सफलता को देखने के बाद, दूसरी बार प्रोजेक्ट टाइगर का आयोजन किया जा रहा है, जिसका नाम प्रोजेक्ट टाइगर 2.0 या GLOW (GLOW-Growing Local Language Content on Wikipedia) है। यह भारत के अलावा पहली बार दो ओर देशों में आयोजित किया जा रहा है। पिछली बार 12 भाषाई समुदायों ने इसमें भाग लिया था। इसके अलावा, इस वर्ष संथाली और संस्कृत भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए सहमत हो गए हैं। समुदाय, जल्द ही,  गूगल द्वारा उपलब्ध कराए गए लेखों की सूची और उनके द्वारा बनाई गई स्थानीय सूचियों से लेख बनाना शुरू करेंगे। इस वर्ष, इस परियोजना का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले लेख हैं और समुदाय ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

The views and opinions expressed on this page are those of their individual authors. Unless the opposite is explicitly stated, or unless the opposite may be reasonably inferred, CIS does not subscribe to these views and opinions which belong to their individual authors. CIS does not accept any responsibility, legal or otherwise, for the views and opinions of these individual authors. For an official statement from CIS on a particular issue, please contact us directly.